Wednesday 21 January 2015

जिस क्षण तुम किसी दूसरे पर भरोसा करने लगते हो, तो अपनी व्‍यक्‍तिगत खोज बंद कर देते हो। और मैं नहीं चाहूंगा। कि तुम अपनी व्‍यक्‍तिगत खोज बंद करों। हजारों वर्ष से व्‍यक्‍ति को इसी तरह छला गया और उसका शोषण किया गया है। मैं इस पूरी रणनीति को समूल नष्‍ट कर देना चाहता हूं। केवल अपने अनुभव पर भरोसा रखो। मैं हां कहूं या न, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। अंतर इस बात से पड़ता है कि तुमने इसका अनुभव किया या नहीं। वहीं निर्णायक होगा। उससे तुम्‍हारे जीवन में निश्‍चय ही परिवर्तन आ जाएगा।
मैं चाहता हूं कि तुम जानने वाले बनो। यदि तुम मुझे प्रेम करते हो और मुझ पर भरोसा करते हो, तब तो जांच-पड़ताल करते रहो, खोज-ढूंढ करते रहो। जब तक तुम्‍हें निष्‍कर्ष नहीं मिल जाता। कभी विश्‍वास न करना। मैं यह इतना निश्चय पूर्वक कह सकता हूं क्‍योंकि में जानता हूं कि यदि तुम जांच पड़ताल करोगे तो तुम्‍हें यह मिल जाएगा। यह वही है। मेरे एक भी शब्‍द पर विश्‍वास न किया जाए। किंतु अनुभव किया जाए। मैं तुम्‍हें इसका अनुभव लेने की विधि दे रहा हूं, अधिक ध्‍यानस्‍थ हो जाओ। पुनर्जन्म और परमात्‍मा, स्‍वर्ग-नरक से कोई अंतर नहीं पड़ता। जिससे अंतर पड़ता है, वह तुम्‍हारा सजग हो जाना है। ध्‍यान से तुम जाग्रत हो जाते हो। तुम्‍हें आंखे मिल जाती है। तब तो तुम जो कुछ भी देखते हो, तुम अस्‍वीकार नहीं कर सकते।

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