Tuesday 13 January 2015

किरलियान फोटोग्राफी में जब कोई व्‍यक्‍ति संकल्‍प करता है उर्जा का तो वर्तुल बड़ा हो जाता है। फोटोग्राफी में वर्तुल बड़ा आ जाता है। जब आप घृणा से भरे होते है, जब आप क्रोध से भरे होते है तब आपके शरीर से उसी तरह की ऊर्जा के गुच्‍छे निकलते है, जैसे मृत्‍यु में निकलते है। जब आप प्रेम से भरे होते है तब उल्‍टी घटना घटती है। जब आप करूणा से भरे होते है तब उल्‍टी घटती है। इस विराट ब्रह्मा से आपकी तरफ उर्जा के गुच्‍छे प्रवेश करने लगते है। आप हैरान होंगे यह बात जानकर कि प्रेम में आप कुछ पाते है, क्रोध में कुछ देते है। आमतौर से प्रेम में हमें लगता है कि कुछ हम देते है और क्रोध में लगता है हम कछ छीनते है। प्रेम में हमें लगता है कुछ हम देते है, लेकिन ध्‍यान रहे,प्रेम में आप पाते है। करूणा में आप पाते है, दया में आप पाते है। जीवन ऊर्जा आपकी बढ़ जाती है। इसलिए क्रोध के बाद आप थक जाते है और करूणा के बाद आप और सशक्‍त, स्‍वच्‍छ, ताजे हो जाते है। इसलिए करूण वान कभी भी थकता नहीं। क्रोधी थका ही जीता है।

किरलियान फोटोग्राफी के हिसाब से मृत्‍यु में जो घटना घटती है। वह छोटे अंश में क्रोध में घटती है। बड़े अंश में मृत्‍यु में घटती है, बहुत ऊर्जा बाहर निकलने लगती है। किरलियान ने एक फूल का चित्र लिया है जो अभी डाली से लगा है। उसके चारों तरफ ऊर्जा का जीवंत वर्तुल है। और विराट से, चारों और से ऊर्जा की किरणें फूल में प्रवेश कर रही है। ये फोटोग्राफ अब उपलब्ध है। देखे जा सकते है। और अब तो किरलियान का कैमरा भी तैयार हो गया है, वह जल्‍दी उपलब्‍ध हो जाएगा। उसके फूल को डाली से तोड़ लिया फिर फोटो लिया। तब स्‍थिति बदल गई। वे जो किरणें प्रवेश कर रही थीं। वे वापस लौट रही है। एक सेकेंड का फासला, डाली से टूटा फूल। घंटे भर से ऊर्जा बिखरती चली जाती है। जब आपकी पंखुडियां सुस्‍त होकर ढल जाती है। वह वही क्षण है जब ऊर्जा निकलने के करीब पहुंचकर पूरी शून्‍य होने लगती है।

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