Sunday 11 January 2015

मृत्‍यु मनुष्‍य के जीवन में इतनी बड़ी घटना है कि बाकी जीवन में जो भी घटता है वो उसके सामन तुच्‍छ हो जाता है, बोना हो जाता है। फिर भी क्‍यों मनुष्‍य मृत्‍यु की इस घटना को जान नहीं पाता,समझ नहीं पाता, उसमें खड़ा हो नहीं पाता। क्‍या कारण है मनुष्‍य पूरे जीवन में सब प्रकार की तैयारी करता है पर उस महत्‍वपूर्ण घटना से साक्षात्‍कार नहीं कर पाता उसे ग्रहण नहीं कर पाता उससे आँख चुराता है। अभी कुछ दिनों पहले किरलियान फोटोग्राफी ने मनुष्‍य के सामने कुछ वैज्ञानिक तथ्‍य उजागर किये है। किरलियान ने मरते हुए आदमी के फोटो लिए, उसके शरीर से ऊर्जा के छल्‍ले बहार लगातार विसर्जित हो रहे थे, और वो मरने के तीन दिन बाद तक भी होते रहे। मरने के तीन दिन बाद जिसे हिन्‍दू तीसरा मनाता है। अब तो वह जलाने के बाद औपचारिक तौर पर उसकी हड्डियाँ उठाना ही तीसरा हो गया। यानि अभी जिसे हम मरा समझते है वो मरा नहीं है। आज नहीं कल वैज्ञानिक कहते है तीन दिन बाद भी मनुष्‍य को जीवित कर सकेगें। और एक मजेदार घटना ओर किरलियान के फोटो में देखने को मिली। की जब आप क्रोध की अवस्‍था में होते हो तो तब वह ऊर्जा के छल्‍ले आपके शरीर से निकल रहे होत है। यानि क्रोध भी एक छोटी मृत्‍यु तुल्‍य है।

भारतीय योग तो हजारों साल से कहता आया है कि मनुष्‍य के स्थूल शरीर कोई भी बिमारी आने से पहले आपके सूक्ष्‍म शरीर में छ: महा पहले आ जाती है। यानि छ: महा पहले अगर सूक्ष्म शरीर पर ही उसका इलाज कर दिया जाये तो बहुत सी बिमारियों पर विजय पाई जा सकती है। इसी प्रकार भारतीय योग कहता है कि मृत्‍यु की घटना भी अचानक नहीं घटती वह भी शरीर पर छ: माह पहले से तैयारी शुरू कर देती है। पर इस बात का एहसास हम क्‍यों नहीं होता। पहली बात तो मनुष्‍य मृत्‍यु के नाम से इतना भयभीत है कि वह इसका नाम लेने से भी डरता है। दूसरा वह भौतिक वस्तुओं के साथ रहते-रहते इतना संवेदन हीन हो गया है कि उसने लगभग अपनी अतीद्रिय शक्‍तियों से नाता तोड़ लिया है। वरन और कोई कारण नहीं है। पृथ्‍वी को श्रेष्‍ठ प्राणी इतना दीन हीन। पशु पक्षी भी उससे अतीद्रिय ज्ञान में उससे कहीं आगे है। साइबेरिया में आज भी कुछ ऐसे पक्षि है जो बर्फ गिरने के ठीक 14 दिन पहले वहां से उड़ पड़ते है। न एक दिन पहले न एक दिन बाद। जापन में आज भी ऐसी चिडिया पाई जाती है। जो भुकम्‍पके12घन्‍टे पहले वहाँ से गाय हो जाती है। और भी ने जाने कितने पशु पक्षि है जो अपनी अतीन्द्रिय शक्‍ति के कारण ही आज जीवित है।

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