अब मैं तुम्हें तुम्हारे अस्तित्व की एक परम आधारभूत यौगिक संरचना के बारे में बताता हूं।
जैसे कि भौतिकविद सोचते है कि यह सब और कुछ नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉन, विद्युत-उर्जा से निर्मित है। योग की सोच है कि यह सब और कुछ नहीं वरन ध्वनि-अणुओं से निर्मित है। अस्तित्व का मूल तत्व, योग के लिए ध्वनि है। क्योंकि जीवन और कुछ नहीं बल्कि एक तरंग है। जीवन और कुछ नहीं बल्कि ध्वनि की एक अभिव्यक्ति है। ध्वनि से हमारा आगमन होता है और पुन: हम ध्वनि में विलीन हो जाते है। मौन, आकाश, शून्यता, अनस्तित्व, तुम्हारा अंतर्तम केंद्र,चक्र की धुरी है। जब तक कि तुम उस मौन, उस आकाश तक न आ जाओ, जहां तुम्हारे शुद्ध अस्तित्व के अतिरिक्त और कुछ नहीं बचता,मुक्ति उपलब्ध नहीं होती। यह योग का संरचना तंत्र है।
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