जो तुम्हारी निंदा करे, आलोचना करे, जो तुम्हारे तारों को छेड़े, ऐसा मत सोचना कि दुश्मन है; ऐसा मत सोचना कि उसने तुम्हारी नींद बिगाड़ी। उसने तुम्हारे भीतर कुछ जगाया। वह नासमझ है, पागल है। इतनी ही मेहनत से उसके खुद के तार जग जाते। इतनी ही मेहनत से उसकी खुद की वीणा नाच उठती।
लेकिन तुम तो उपयोग कर ही लेना। अकारण प्रभु की अनुकंपा हुई है कि निंदक तुम्हें मिल गया है। तुम इस प्रसाद को ऐसे ही मत छोड़ देना। तुम इस प्रसाद का पूरा भोग लगा लेना।
ध्यान रखना, अगर तुमने अपने को प्रशंसा-प्रशंसा में ही ढांककर बचाया तो तुम ऐसे पौधे होओगे, जिसको न तो धूप लगी, न हवा के झोके लगे, न आंधियों ने घेरा, न जिसकी छाती पर बादल गरजे और बिजलियां चमकीं-हीट हाउस प्लांट, सब तरह से सुरक्षित-प्रशंसाओ में, स्तुतियों में, प्रमाणपत्रों में, प्रियजनों की छत्र-छाया में।
तुम बड़े कमजोर रहोगे। जीवन का जरा सा ही धक्का तुम्हारे सारे भवन को गिरा देगा। तुम्हारी नाव असली नहीं, कागज की है। जरा सी लहर और तुम डूब जाओगे। तुम्हें डुबाने के लिए मझधार की भी जरूरत न पड़ेगी। तुम चुल्लभर पानी में डूब जाओगे। कोई बड़े सागरों की जरूरत न रहेगी। तुम्हारी नाव ही तुम्हें डुबा देगी, नदियों की जरूरत नहीं है।
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