Monday 23 February 2015

अगर मां बाप इतना ही कहे जितना वो जानते है,बच्‍चे को मुक्‍त रखे, उसकी सरल श्रद्धा नष्‍ट न करे।
तो ये सार दुनियां धार्मिक हो सकती है,ये दुनिया अधार्मिक नास्तिकों के कारण नहीं है।
तुम्‍हारे थोथे आस्तिकों के कारण अधार्मिक है।
ध्‍यान देना, सिद्धांत मत देना,यह मत कहना की भगवान है,यह कहना की शांत बैठने से धीरे-धीरे पता चल जाएगा।
निर्विचार होने से पता चल जाएगा,ध्‍यान दिया तो धर्म दिया, सिद्धांत दिया तो अधर्म दे दिए।
शास्‍त्र मत देना, शब्‍द मत देना, नि:शब्‍द होने की क्षमता देना। प्रेम देना।
ध्‍यान और प्रेम अगर दो चीजें तुम दे सको किसी बच्‍चे को,तो तुमने अपना कर्तव्‍य पूरा कर दिया।
तुमने बच्‍चे की आधारशिला रख दी।
इस बच्‍चे के जीवन में मंदिर बनेगा,इस बच्‍चे के शिखर आकाश में उंठेंगे,और इसके स्‍वर्ण-शिखर सूरज की रोशनी में चमकेगे।
और चाँद तारों से बातें करेंगें।
–ओशो


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