Tuesday, 31 March 2015

चूकने न चूकने की भाषा ही लोभ की भाषा है। लोभ छोड़ो। मेरे साथ उत्सव में सम्मिलित रहो। ‘चूक जाऊंगा’—इसका मतलब हुआ कि तुम लोभ की भाषा से देख रहे हो। सब सम्हाल लूं सब मिल जाए, सब पर मुट्ठी बांध लूं सब मेरी तिजोरी में हो जाए; धन भी हो वहां, ध्यान भी हो वहां; संसार भी हो, परमात्मा भी हो—ऐसा लोभ तुमने अगर रखा तो निश्चित चूक जाओगे। चूकोगे—लोभ के कारण। यह चूकने न चूकने की भाषा छोड़ो।
यहां मैं तुम्हें कुछ दे नहीं रहा हूं। यहां मैं तुमसे कुछ छीन रहा हूं। और यहां मैं तुम्हें कुछ ज्ञान देने नहीं बैठा हूं। तुम मेरे साथ उत्सव में थोड़ी देर सम्मिलित हो जाओ, मेरे साथ गुनगुना लो। तुम थोड़ी दूर मेरे साथ चलो। दो कदम मेरे साथ चल लो, बस इतना काफी है।
तुम्हें एक दफा स्वाद लग जाए परम का, फिर कोई भय नहीं है। फिर मैं यहां रहूं न रहूं—कोई चिंता नहीं है। मेरे रहते तुम्हें थोड़ा—सा स्वाद लग जाए।
तो तुम यह चूकने, खोने इत्यादि की बातें छोड़ो। इनमें तुम उलझे रहे तो तुम मेरे उत्सव में सम्मिलित न हो पाओगे। चाह तो ठीक है, लेकिन लोभ से जुड़ी है, इसलिए गलत हुई जा रही है। चाहतीं किरणें धरा पर फैल जाना चाहतीं कलिया चटख कर महमहाना फूल से हर डाल सजना चाहती है प्राण की यह बीन बजना चाहती है।
चाहतीं चिड़िया वसती गीत गाना पत्तियां संदेश मधु ऋतु का सुनाना वायु ऋतुपति नाम भजना चाहती है प्राण की यह बीन बजना चाहती है।
ठीक है, भाव तो बिलकुल ठीक है। सिर्फ लोभ की दृष्टि से उसे मुक्त कर लो।
इसी क्षण मैं यहां हूं तुम भी मेरे साथ रहो। यह हिसाब—किताब मन में मत बांधो कि सम्हाल लूं यह पकड़ लूं यह पकडूं न पकडुं यह समझ में आया कि नहीं आया। छोड़ो, समझ इत्यादि का कोई सवाल नहीं है। उत्सव, महोत्सव में सम्मिलित हो जाओ! तुम मेरे साथ सिर्फ बैठो। तुम सिर्फ मेरे साथ हो रहो, सत्संग होने दो! थोड़ी देर को तुम मिट जाओ। यहां तो मैं नहीं हूं र अगर वहां तुम थोड़ी देर को मिट जाओ..। वह लोभ न मिटने देगा। वह लोभ खड़ा रहेगा कि कैसे पकडुं कैसे इकट्ठा करूं। थोड़ी देर को तुम मिट जाओ! तुम कोरे और शून्य हो जाओ। उसी क्षण जो भी मैं हूं उसका स्वाद तुम्हें लग जाएगा। और वह स्वाद तुम्हारे ही भविष्य का स्वाद है।
मैं यहां मौजूद हूं। तुम्हें किसी से पूछने की कोई जरूरत नहीं है। मुझसे भी पूछने की कोई जरूरत नहीं है। सिर्फ मेरे साथ क्षण भर को गुनगुना लो। मेरे अस्तित्व के साथ थोड़ी देर को रास रचा लो। नहीं चूकोगे। लेकिन अगर चूकने न चूकने की भाषा में उलझे रहे, तो चूक रहे हो, चूकते रहे हो और निश्चित ही चूक जाने वाले हो।

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