Tuesday 30 June 2015

तो जब पूरे सात शरीरों को हम समझेंगे, तब पहले और दूसरे शरीर में जोड़ बनता है। क्योंकि पहला शरीर है भौतिक शरीर, फिजिकल बॉडी, दूसरा शरीर है ईथरिक बॉडी, ईथर, भाव शरीर। वह भौतिक का ही सूक्ष्मतम रूप है। वह अभौतिक नहीं है, वह भौतिक का ही सूक्ष्मतम रूप है—इतना सूक्ष्मतम कि भौतिक उपाय भी उसे पकड़ने में अभी ठीक से समर्थ नहीं हो पाते। लेकिन अब भौतिकवादी इस बात को इनकार नहीं करता है कि भौतिक का सूक्ष्मतम रूप करीब—करीब अभौतिक हो जाता है। अब जैसे आज विज्ञान कहता है कि अगर हम पदार्थ को तोड़ते चले जाएं तो जो अंतिम, पदार्थ के विश्लेषण पर हमें मिलेंगे—इलेक्ट्रान, वे अभौतिक हो गए, वे इम्मैटीरियल हो गए हैं; क्योंकि वे सिर्फ विद्युत के कण हैं, उनमें पदार्थ और सब्सटेंस जैसा कुछ भी नहीं बचा, सिर्फ एनर्जी और ऊर्जा बच रही है। इसलिए बड़ी अदभुत घटना घटी है पिछले तीस वर्षों में कि जो विज्ञान यह बात स्वीकार करके चला था कि पदार्थ ही सत्य है, वह विज्ञान इस नतीजे पर पहुंचा है कि पदार्थ तो बिलकुल है ही नहीं, एनर्जी और ऊर्जा ही सत्य है, और पदार्थ जो है वह एनर्जी का, ऊर्जा का तीव्र घूमता हुआ रूप है, इसलिए भ्रम पैदा हो रहा है।
एक पंखा हमारे ऊपर चल रहा है। यह पंखा इतने जोर से चलाया जा सकता है कि इसकी तीन पंखुड़ियां हमें दिखाई पडनी बंद हो जाएं। और जब इसकी तीन पंखुड़ियां हमें दिखाई पड़नी बंद हो जाएंगी, तो पंखा पंखुड़ियां न मालूम होकर, टीन का एक गोल चक्कर घूम रहा है, ऐसा मालूम होगा। और तीनों पंखुड़ियों के बीच की जो खाली जगह है वह भर जाएगी, वह खाली नहीं रह जाएगी; क्योंकि तीन पंखुड़ियां दिखाई नहीं पड़ेगी।
असल में, पंखुड़ियां इतनी तेजी से घूम सकती हैं कि इसके पहले कि एक पंखुड़ी हटे एक जगह से और हमारी आंख से उसका प्रतिबिंब मिटे, उसके पहले दूसरी पंखुड़ी उसकी जगह आ जाती है; प्रतिबिंब पहला बना रहता है और दूसरा उसके ऊपर आ जाता है। इसलिए बीच की जो खाली जगह है वह हमें दिखाई नहीं पड़ती। यह पंखा इतनी तेजी से भी घुमाया जा सकता है कि आप इसके ऊपर मजे से बैठ सकें और आपको पता न चले कि नीचे कोई चीज बदल रही है। अगर दो पंखुडियों के बीच की खाली जगह इतनी तेजी से भर जाए कि एक पंखुड़ी आपके नीचे से हटे, आप इसके पहले कि खाली जगह में से गिरे, दूसरी पंखुड़ी आपको सम्हाल ले, तो आपको दो पंखुड़ियों के बीच का अंतर पता नहीं चलेगा। यह गति की बात है।
अगर ऊर्जा तीव्र गति से घूमती है तो हमें पदार्थ मालूम होती है। इसलिए वैज्ञानिक आज जिस एटामिक एनर्जी पर सारा का सारा विस्तार कर रहा है, उस एनर्जी को किसी ने देखा नहीं है, सिर्फ उसके इफेक्ट्स, उसके परिणाम भर देखे हैं। वह मूल अणु की शक्ति किसी ने देखी नहीं है, और कोई कभी देखेगा भी, यह भी अब सवाल नहीं है। लेकिन उसके परिणाम दिखाई पड़ते हैं।
ईथरिक बॉडी को अगर हम यह भी कहें कि वह मूल एटामिक बॉडी है, तो कोई हर्ज नहीं है। उसके परिणाम दिखाई पड़ते हैं। ईथरिक बॉडी को किसी ने देखा नहीं है, सिर्फ उसके परिणाम दिखाई पड़ते हैं। लेकिन उन परिणामों की वजह से वह है, यह स्वीकार कर लेने की जरूरत पड़ जाती है। यह जो दूसरा शरीर है, यह पहले भौतिक शरीर का ही सूक्ष्मतम रूप है; इसलिए इन दोनों के बीच कोई सीढ़ी बनाने में कठिनाई नहीं है। ये दोनों एक तरह से जुड़े ही हुए हैं—एक स्थूल है जो दिखाई पड जाता है, दूसरा सूक्ष्म है इसलिए दिखाई नहीं पड़ता।

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